नाथूराम गोडसे एक हिन्दू रास्ट्रवादी के साथ-साथ पत्रकार भी थे। गोडसे का अपने समय का चर्चित कार्य गांधी की हत्या करना था। परन्तु इस हत्या के पीछे यह कारण बहुत बड़ा था की विभाजन के समय हिन्दू-मुसलमानों की भयंकर हिंसा में लाखों लोगों की हत्या कर दी गयी थी। और हिंसक घटना का पूरा जिम्मेदार गांधी को ही माना गया था।
गांधी की हत्या के कारण:-
भारत-पाकिस्तान के विभाजन के समय कई महत्वपूर्ण निर्णय हुए थे। जिनमे से एक यह था की भारत को पाकिस्तान को 75 करोड़ रुपये देने थे और उनमें से 20 करोड़ रुपये तो दे दिये गए थे। परन्तु विभाजन के कुछ ही समय बाद पाकिस्तान नें भारत के कश्मीर पर आक्रमण कर दिया जिसके कारण गुस्साये नेहरू व वल्लभ भाई पटेल नें बाकी के 55 करोड़ रुपये नहीं देने का फेसला किया। लेकिन गांधीजी इस कार्य के विरुद्ध अनसन पर बेठ गये। गांधी के इस निर्णय पर नाथूराम और उनके साथियों नें गांधी की हत्या करने की सोची।
अनसन कार्य से दुखी नाथूराम व उसके साथियों ने 20 जनवरी 1947 को दिल्ली के बिरला हाउस पहुँचकर नाथूराम के साथी मदनलाल ने गांधी की प्रार्थना-सभा में बम फेका। उनके निर्णय के अनुसार बम से उत्पन्न अफरा-तफरी के समय ही गांधी को मारना था लेकिन उस समय उनकी पिस्तोल ही खराब हो गयी थी जिसके कारण गोली नहीं चल सकी। उस समय सारे साथी तो भाग गये लेकिन मदनलाल भीड़ के द्वारा पकड़ा गया।
नाथूराम गोडसे गांधी को मारने के लिए वापस दिल्ली आए और वहाँ पर पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के शिविरों में घूम रहे थे। वहाँ से एक शरणार्थी से उन्होने इटालवी कम्पनी की "वैराटा" पिस्तोल खरीदी
अमृतसर के जलियाँवाला बाग में हुये नरसंहार के दोसी जनरल डायर पर अभियोग चलाने के लिए गांधी नें भारतवासियों के इस आग्रह पर समर्थन देने से साफ मना कर दिया था।
भगत सिंह व उसके साथियों को फांसी देने के फेसले से सारा देश दुखी था। सभी क्रान्तिकारियों नें गांधी से यह कहा की वह इस मामले में हस्तक्षेप कर इनको फांसी से बचायें, परन्तु गांधी नें भगत सिंह की हिंसा को गलत बताते हुये सभी की मांग को अस्वीकार कर दिया।
गांधी ने अनेक समारोह पर गुरु गोविंद सिंह, महाराणा प्रताप व शिवाजी की देशभक्ति को भी सही नहीं बताया।
पाकिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थियों को खाली पड़ी मस्जिदों में गांधी नें शरण नहीं लेने दी और सभी व्रद्ध स्त्रियों व बालकों को ठंडी रात में मस्जिदों से बाहर खदेड़ दिया गया।
केरल के मोपला मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओ की मारकाट की गयी जिससे करीब 1400 हिन्दू मारे गए व 2000 से ज्यादा को मुसलमान बना लिया गया। गांधी नें इस हिंसा का विरोध नहीं किया, और उनकी बहादूरी का वर्णन किया गया।
गांधी की हत्या:-
30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे दिल्ली के बिड़ला भवन में प्रार्थना-सभा के समय से 40 मिनट पहले पहुँच गए। जैसे ही गांधी प्रार्थना-सभा के लिये परिसर में दाखिल हुए, नाथूराम ने पहले उन्हें हाथ जोड़कर प्रणाम किया उसके बाद बिना कोई विलम्ब किये अपनी पिस्तौल से तीन गोलियां चलाकर गांधी का अंत कर दिया। उसके बाद गोडसे ने वहाँ से भागने का प्रयास नहीं किया।
गोडसे को मृत्युदण्ड:-
नाथूराम गोडसे को साथी नारायण आप्टे के साथ 15 नवम्बर 1949 को पंजाब की अम्बाला जेल में फांसी देकर मर दिया गया।
उन्होने अपने अंतिम शब्दों में कहा था।
किया है और यदि यह पुण्य है तो उसके द्वारा अर्जित पुण्य पद पर
में अपना नम्र अधिकार व्यक्त करता हूँ "
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