Tuesday 27 September 2016

मारवाड़ी भचीड़ । Marwadi in Hindi

एक बार एक महाराष्ट्र रा गुरूजी की नोकरी राजस्थान में लाग गी।
राजस्थान में रेवता गुरूजी न बोळा साल हूग्या
और गुरूजी को मारवाड़ी भाषा रो थोड़ो सो ज्ञान हु ग्यो।
और बे टाबरां ने केंवता की मने पूरी मारवाड़ी आवे है।
टाबर बोल्या गुरूजी मारवाड़ी तो पूरी म्हाने भी कोनी आवे थे कठेऊ सीख ग्या।
बे बोल्या मने तो पूरी आवे है थे कीं पूछ सको हो
लगाओ 500 की शर्त.........
एक दिन गुरूजी सुबह सुबह जंगळ जायकर आया
टूंटी पर हाथ धोवा की टींगर बोल्या
गुरूजी दियाया भचीड़
गुरूजी सोच्यो जंगळ में जाणे ने भचीड़ ही केवे है
हाँ भाई दियायो भचीड़
बात आई गई हूगी
दोपारां मेस में खीर बणाई
एक कानी गुरूजी दूसरी कानी छोरा बैठ्या  जीमण ने
गुरूजी बोल्या भाई खीर की खुसबू तो घणी सांतरी आवे है लागे है खीर जोरदार बणी है।
छोरा बोल्या पछ देखो काई हो गुरूजी
देवो भचीड़।


गुरूजी सोच्यो खीर खाबा न भी भचीड़ ही केवे है शायद
शाम को मैदान में रस्सा कसी को खेल चाल रियो हो
गुरूजी एक छोर रस्से को पकड़कर उबा हा
बठीनू छोरा आया और बोल्या काई करो गुरूजी
गुरूजी बोल्या भाई रस्सा खेंच प्रतियोगिता चालू है
जणा छोरा बोल्या पछे देखो कांई हो गुरूजी
देवो भचीड़
गुरूजी रस्सी ने खींची जणा बा टुटगी गुरूजी क लागी खोपड़ी म।   
छोरा ओजु बोल्या गुरूजी खा लियो     "भचीड़"
          
गुरूजी बोल्या सुबह सू एक ही बात
"भचीड़" - "भचीड़" - "भचीड़" 

छोरा बोल्या गुरूजी म्हे पेली ही आपने कियो हो की
मारवाड़ी आदमी ने कोई कोणी समझ सके गुरूजी तो ल्याओ देवो 500 रिप्या।
गुरूजी जेब म सु काडर रिप्या दिया
और हंसर छोरा बोल्या।   
आ तो मारवाड़ी भाषा है गुरूजी लाग ग्यो न भचीड़
गुरूजी बेहोश

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