Wednesday 28 September 2016

क्या आप जानते है शोले फिल्म से जुड़े शानदार किस्से। Sholay in Hindi

शोले फिल्म अपने आप में आज भी एक जीवित इतिहास है इस फिल्म का हर एक किरदार अपनी जगह पर लाजवाब था। उस समय की यह महान फिल्म आज भी लाखो लोगों के दिलों पर राज करती है। 


यह फिल्म 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुयी थी। इस फिल्म को बनाने में 2 साल से ज्यादा समय लगा था। इस फिल्म की कहानी लिखने से लेकर रिलीज होने तक कई ऐसे शानदार किस्से है जिनके बारे मे शायद आप नहीं जानते है।

1    फिल्म "शोले" में गब्बर के रोल के लिए डैनी को लेना चाहते थे। पर 
      डैनी फिल्म धर्मात्मा की शूटिंग में व्यस्त होने के कारण यह रोल 
      अमजद खान को दिया गया।

2    इस फिल्म में "जय" के रोल के लिए अमिताभ की जगह शत्रुघन 
      सिन्हा का नाम रमेश सिप्पी ने पहले ही तय कर रखा था मगर 
      सलीम-जावेद तथा ध्रमेन्द्र ने अमिताभ का नाम फ़ाइनल करवाया।

3    हेमा मालिनी फिल्म "शोले" में बसंती ताँगेवाली का रोल करने को 
     कतई तैयार नहीं थी। इसके पीछे फिल्म अंदाज तथा सीता और गीता 
     की जबरदस्त सफलता थी। बाद में रमेश सिप्पी के मनाने पर हेमा 
     इस रोल को करने के लिए राजी हुयी थी।


4    "शोले" फिल्म की हर एक बात डॉइलोग्स के रूप में प्रसिद्ध हो गयी 
       थी। जेसे:- "जो डर गया, समझो मर गया" , "कितने आदमी थे", 
      "इतना सन्नाटा क्यों है, भाई", "अरे ओ सांभा", "अब तेरा क्या होगा 
       कालिया", "चल धन्नो आज तेरी बसंती की इज्जत का सवाल है", 
      "ये रामगढ़ वाले कोनसी चक्की का पिसा हुआ खाते है रे", "बहुत 
       कटिली नचनियाँ है रे", "बसंती, इन कुत्तो के सामने मत नांचना", 
       यह डॉइलोग्स आज भी लोगों की जुबान पर रहते है।

                                                                                  तेरा क्या होगा कालिया....?

5    फिल्म की शूटिंग के दोरान हेमा के साथ रोमेंटिक सीन के समय 
      धर्मेंद्र खुद जानबूझकर गलतियाँ करते थे, ताकि सीन दुबारा रिटेक हो 
      सके। इसके बदले में धर्मेंद्र यूनिट के लोगों को पैसे भी देते थे। संजीव 
      कुमार भी हेमा पर एकदम लट्टू थे लेकिन धर्मेंद्र हेमा मालिनी को 
     शूटिंग में उलझाए रखते थे ताकि संजीव हेमा के पास भी न आ सके 
     और यह बात खुद संजीव कुमार को पता थी।

6    "शोले" फिल्म रिलीज होने पर इसको अच्छी शुरुआत नहीं मिली थी 
      रमेश सिप्पी ने यह प्रस्ताव रखा की फिल्म का अंत का सीन बादल 
      दिया जाए यह सीन दुबारा उसी लोकेशन पर जाकर शूट करके इसमें \
      जोड़ देंगे। और रमेश सिप्पी ने सलीम- जावेद को नया अंत सीन 
      लिखने की ज़िम्मेदारी दी। सलीम- जावेद ने रमेश सिप्पी को 
     समझाया की हमे एक दो दिन ओर रुकना चाहिए। यदि फिल्म फिर 
     भी नहीं चलती है तो बाद में नया अंत शूट कर लेंगे। उनकी बात मान 
     ली गयी। बाद में फिल्म ने जल्दी ही बॉक्स ऑफिस पर रफ्तार पकड़ 
    ली।

7    फिल्म में अमजद खान को गब्बर डाकू का जो नाम दिया गया था वह 
     एक असली डाकू का नाम था। यह बात सलीम खान को उनके पिता 
     बताया करते थे की वह पुलिस पर हमला करता और उनके नाक-कान 
     काट लेता था।


8    ठाकुर के रोल के लिए पहले प्राण का नाम ही लिया गया था। लेकिन 
      रमेश सिप्पी ने संजीव कुमार की जीवंत कलाकारी को देखते हुये यह 
      रोल उनको दिया गया।

9    फिल्म में गब्बर ने जो ड्रेस पहनी थी उसे मुंबई के चोर बाजार से 
     खरीदी गयी थी। और पूरी फिल्म की शूटिंग में इसे एक बार भी नहीं 
     धोई गयी।

10   इस फिल्म के एक सीन में जय-वीरू और ठाकुर को ट्रेन के सफर में 
      लड़ते हुये दिखाया गया था। फिल्म के इस सीन को शूट करने में 7 
      सप्ताह से ज्यादा समय लगा था। 

11   असल ज़िंदगी में जय-वीरू नाम के सलीम खान के कॉलेज में दो 
       दोस्त थे।


12   इस फिल्म में गब्बर का अड्डा और ठाकुर का घर मिलों दूर दिखाया 
       गया गया है परन्तु दोनों स्थान एकदम पास में ही थे।

13   यह फिल्म मुंबई के सिनेमाघर "मिनर्वा" में लगातार पाँच सालों तक 
      चली थी। इसके रिकॉर्ड को आगे चलकर दिलवाले दुल्हनियाँ ले 
      जाएंगे ने तोड़ा था। 

14   सूरमा भोपाली का किरदार भोपाल के एक वन अधिकारी की ज़िंदगी 
       से लिया गया था।

15   जया बच्चन प्रेग्नेंट होने की वजह से इस फिल्म को शूट करने में 
       अधिक दिन लग गए थे।

16   संजीव कुमार ने "शोले" फिल्म की शूटिंग से पहले हेमा मालिनी को 
      शादी करने की बात कही थी लेकिन हेमा ने शादी के लिए माना कर 
      दिया था।

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